टैक्सपेयर : एक बार फिर बजट से पहले सबकी निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर टिक गई है। हर बार की तरह एक बार फिर से सैलरी क्लास को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इनकम टैक्स में राहत देंगी। लंबे वक्त से टैक्स में कटौती की मांग कर रहे टैक्सपेयर्स अपनी उम्मीद भरी निगाहों से वित्त मंत्री की ओर देख रहे हैं… और साथ ही आपको बता दें कि एक टैक्सपेयर ने वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी है।
वित्त मंत्री जी, नमस्ते…एक बार फिर से वित्त मंत्री बनने के लिए आपको शुभकामनाएं. हम सब खुश हैं कि एक बार फिर से आप बजट पेश करने जा रही हैं. हर बार की तरह इस बार भी हम सब सैलरीड क्लास की उम्मीदें आपसे बंधी हैं.
वित्त मंत्री जी हम तय सैलरी पाने वाले नौकरीपेशा लोगों की आपसे बड़ी उम्मीदें हैं. बढ़ती महंगाई, महंगे होम लोन, स्कूल से लेकर किचन के बोझ से हम इस कदर दब रहे हैं कि आपसे राहत की आस लगाकर बैठे हैं. हालांकि बीते कई सालों से हमें बार-बार मायूसी ही हाथ लगी है.
हर बार हमारे अरमानों पर पानी ही फिरा है, टैक्स स्लैब में आपने बीते कई सालों से कोई बदलाव नहीं किया है. कई सालों से कमोवेश इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं दी गई. सैलरी से घर चलाने वाले हम टैक्सपेयर (taxpayer) देश के लिए सबसे ज्यादा रेवेन्यू जेनरेट करते हैं, लेकिन सरकार की आय के सबसे बड़े सोर्स हम सैलरीड क्लास के हाथों में हमेशा मायूसी ही हाथ लगती है. लेकिन इस बार हमें आपसे कुछ राहत की आस हैं.
कुछ इनकम टैक्स ले जाता है, कुछ….
वित्त मंत्री जी मंदी की आहट भर ने कईयों की नौकरी छीन ली, हेल्थ पर खर्च बढ़ गया है, बच्चों की फीस से लेकर किचन का बजट तक बढ़ता ही जा रहा है. एक ओर खर्च बढ़ता जा रहा है लेकिन सैलरी उस हिसाब से नहीं बढ़ रही. बढ़ते खर्च के उलट इनकम पर जो टैक्स कटती थी वो जस की तस ही है. ऐसे में हम सैलरी वालों की बचत घटती जा रही है. महीने के आखिरी तक बैंक अकाउंट खाली हो जाता है और 1 तारीख का इंतजार तेज हो जाता है.
सेविंग (saving) के नाम पर बहुत कुछ बचता नहीं है. हमारी जिंदगी तो किशोर कुमार के इस गीत, ” कमाता हूँ बहुत कुछ पर कमाई डूब जाती है कुछ इनकम टैक्स (Income Tax) ले जाता है कुछ बीवी उड़ाती है…” जैसी हो गई है, लेकिन हालात तो ये है कि शौक तो दूर खर्च के पैसे भी कम पड़ जाते हैं. ऐसे में हमारी गाड़ी बार-बार इनकम टैक्स (Income Tax) पर आकर अटक जाती है. आपने तो फरवरी में अंतरिम बजट के दौरान कहा भी था कि जुलाई में सबका ध्यान रखेंगी. हम सैलरीड क्लास (salaried class) को आपसे बहुत कुछ नहीं बस थोड़ी ही राहत चाहिए.
वित्त मंत्री जी बस इतनी सी हमारी डिमांड-
वित्त मंत्री जी हम ज्यादा गुणा-भाग समझते नहीं है. नई-पुरानी टैक्स व्यवस्था (New old tax system) के बाद तो कंफ्यूजन और बढ़ गया है. हम तो बस चाहते हैं कि बढ़ती महंगाई और जरूरत के खर्चों को देखते हुए जुलाई में जब आप बजट 2024 पेश करें तो इनकम टैक्स में हम मिडिल क्लास के लिए टैक्स छूट का दायरा बढ़ा दें. हमारी गुजारिश है कि नई टैक्स व्यवस्था, जिसपर आप भी जोर देती हैं, उसमें बेसिक टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट को 3 लाख से बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये या उससे थोड़ा ज्यादा कर दें.
अगर पुरानी टैक्स व्यवस्था कोई चुनता है तो उसे 10 लाख तक की कमाई पर थोड़ी ज्यादा छूट मिले. स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) के नाम पर जो 50000 रुपये की छूट है, वो बीते पांच सालों से नहीं बदली वो बेहद कम है. महंगाई बढ़ी, लेकिन ये लिमिट वहीं की वहीं टिकी है. आपसे गुजारिश है कि इसे बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपये कर दें. वित्त मंत्री जी हमारी बचत बढ़ेगी तो खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी और आखिरकार इसका फायदा देश की अर्थव्यवस्था को ही होगा.
थोड़ी सी राहत के लिए बड़ी उम्मीद –
हमारे लिए अपना घर काफी मायने रखता है, इसलिए हम चाहते हैं कि लोन पर घर खरीदने पर टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) क्लेम को थोड़ा आप बढ़ा दें. हाउसिंग लोन पर प्रिंसिपल अमाउंट (principal amount) पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम को थोड़ा बढ़ाकर कम से कम 3 लाख कर दें.
वित्त मंत्री जी हम सैलरीड क्लास वाले बड़ी जरूरतों को भी अपनी सैलरी से पूरा नहीं कर पाते. इसके लिए कई बार हमें पर्सनल लोन लेना पड़ता है, लेकिन इस पर हमें इनकम टैक्स (Income tax) में कोई छूट नहीं मिलती. वित्त मंत्री इसमें आपसे थोड़ी राहत की उम्मीद हम रखते हैं. वित्त मंत्री जी हमारी मांगें बहुत छोटी सी है, उम्मीद है कि जब आप बजट तैयार कर रही होंगी कि हमारी जरूरतों पर, हमारी उम्मीदों का ध्यान रखेंगी.