Success Story: 1 रूपए में बिकती अपनी कंपनी को बचाया, आज 33 हजार करोड़ के एक्लोते मालिक

Success Story: दौलत और शोहरत पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है. कुछ खुशनसीब लोगों को पैसा और प्रसिद्धि विरासत में मिल जाती है तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपना मुकद्दर खुद बनाना पड़ता है. हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा, लेकिन आज वे जिस मकाम पर हैं दुनिया उनकी तरक्की की मिसालें देते हुए नहीं थकती है. आज यह शख्स 33000 करोड़ रुपये की कंपनी का मालिक है लेकिन इस कंपनी को खड़ा करने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की. एक वक्त ऐसा भी आया था जब इस दिग्गज कंपनी को 1 रुपये में बेचा जा रहा था, पर इस बंदे ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत से बुरे वक्त का सामना किया. इसका नतीजा है कि आज यह कंपनी आज देश की दिग्गज टायर निर्माता है. हम बात कर रहे हैं भारतीय टायर उद्योग में बड़ी पहचान रखने वाले ओंकार सिंह कंवर की. उन्होंने अपोलो टायर्स की नींव रखी और इसके चेयरमैन व को-फाउंडर हैं.

आइये आपको बताते हैं ओंकार सिंह कंवर और उनके पूरे परिवार की कहानी, जो विभाजन का दर्द झेलकर पाकिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचा और 40 साल के संघर्ष से यह मकाम हासिल किया.

पाकिस्तान में जन्म, हिंदुस्तान में बनाया मुकद्दर
ओंकार सिंह कंवर अपोलो टायर्स के को-फाउंडर रौनक सिंह के सबसे बड़े बेटे हैं. पाकिस्तान के सियालकोट में पैदा हुए ओंकार सिंह, भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान परिवार के साथ भारत आ गए. बंटवारे में अपना सबकुछ पाकिस्तान में छोड़कर हिंदुस्तान पहुंचे ओंकार सिंह के परिवार के लिए शुरुआत करना इतना आसान नहीं था. उनके पिता ने देश में पाइप का बिजनेस शुरू किया. स्कूली पढ़ाई करने के बाद ओंकार कंवर हायर स्टडी के लिए अमेरिका चले गए. अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी करने के बाद, ओंकार सिंह 1964 में भारत वापस लौटे और अपने फैमिली बिजनेस में शामिल हो गए. कुछ वर्षों के बाद, परिवार ने व्यवसाय का विस्तार करने और टायर निर्माण में उतरने का फैसला लिया और अपोलो टायर्स की नींव रखी गई.

कभी 1 रुपये में बिक रही थी कंपनी
डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, इस बिजनेस की शुरुआत बेहद शानदार रही, लेकिन 1975 में देश में इमरजेंसी लागू होने के कारण उनके धंधे पर संकट छा गया. हालात ऐसे हो गए थे कि उस समय, ओंकार कंवर के पिता कंपनी को सिर्फ 1 रुपये में बेचना चाहते थे. तभी ओंकार सिंह ने अपोलो टायर्स की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और कंपनी को संकट से बाहर निकाला. इसी का नतीजा है कि आज अपोलो टायर्स एक मल्टीनेशनल कंपनी बन गई है.

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