IGIA: फेक वीजा और पासपोर्ट लेकर युवती पहुंची एअरपोर्ट, फिर खुला राज…

IGIA: इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री पर तैनात इमीग्रेशन अधिकारी देव नारायण क्वालालंपुर (मलेशिया) से आई फ्लाइट OD-205 के पैसेंजर्स के पासपोर्ट और वीजा की जांच में व्‍यस्‍थ थे. तभी उनके काउंटर नंबर नौ पर एक युवती अपने पासपोर्ट और वीजा क्लीयरेंस के लिए पहुंची. जांच में पाया कि युवती के पासपोर्ट के पेज नंबर नौ पर लगी आईसीपी तिरुचिरापल्ली और आईसीपी मुंबई की इमीग्रेशन स्‍टैंड फर्जी हैं. पहली स्‍टैंप पर 4 अगस्‍त 2022 और दूसरी पर 29 दिसंबर 2023 दर्ज थी. जिसके बाद, इमीग्रेशन विभाग ने इस युवती को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया.

आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, इमीग्रेशन की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई. प्रारंभिक जांच में हिरासत में ली गई युवती की पहचान क‍िरणदीप कौर के रूप में हुई. वह पंजाब के भटिंडा जिले के अंतर्गत आने वाली नथाना की रहने वाली है. पूछताछ के दौरान किरणदीप ने पुलिस को पंजाब से क्वालालंपुर तक की पूरी कहानी सिलसिलेवार तरीके से बयान की. उसने बताया कि विदेश जाकर वह भी अपने सपनों को पंख देना चाहती थी. चूंकि वह ज्‍यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, लिहाजा, उसके सपने के राह में बहुत से रोड़े थे और चाह कर भी वह अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकती थी.

इसी बीच, किरणदीप की मुलाकात कलवीर सिंह नामक शख्‍स से हुई, जिसमें उसे भरोसा दिलाया कि वह अपने दोस्‍त की मदद से उसके सपनों को पूरा करने में उसकी मदद कर सकता है. इसके बाद, कलवीर के साथ मिलकर किरणदीप ने भटिंडा से निकलकर क्वालालंपुर पहुंचने तक की पूरी साजिश तैयार कर ली. साजिश के तहत, कलवीर और किरणदीप पहले बैंकॉक के लिए रवाना हुए. बैंकॉक पहुंचने पर उन्‍हें बड़ी असानी से ऑन एरावइल वीजा लिया. बैंकॉक में कुछ दिन गुजारने के बाद दोनों मलेशिया के क्वालालंपुर शहर पहुंच गए. यहां भी किरणदीप को बड़ी आसानी से ऑनअराइवल वीजा मिल गया.

मलेशिया में लगाई भारतीय इमीग्रेशन की मोहर
डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि क्वालालंपुर पहुंचने के बाद किरणदीप का सपना लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उसके सामने दो नई समस्‍याएं आकर खड़ी हो गईं. पहली- रहने की जगह और दूसरी- जीवन चलाने के लिए काम. किरणदीप ने एक बार फिर इन दोनों समस्‍याओं के लिए कलवीर से मदद मांगी. किरणदीप के कहने पर कलवीर ने न केवल उसके रहने का इंतजाम किया, बल्कि एक नौकरी भी दिला दी, लेकिन गारंटी के तौर पर उसका पासपोर्ट अपने पास रख लिया. कुछ दिनों बाद, किरणदीप के वीजा की मियाद पूरी होने को थी. अब उसे डर सताने लगा था कि कहीं मलेशियाई सुरक्षा एजेंसी उसे गिरफ्तार कर जेल में न डाल दें.

किरणदीप ने इसी डर से कलवीर को मदद करने के लिए कहा. कलवीर ने किरणदीप को भरोसा दिलाया कि बिना भारत जाए, वह उसके पासपोर्ट पर इमीग्रेशन स्‍टैंप लगवा देगा. हालांकि उसे इसके एवज में कुछ भुगतान करना होगा. इस काम के लिए किरणदीप ने कलवीर को 2300 रिंगित (करीब 40 हजार रुपए) नगद दिए और बाकी की रकम उसके बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दी. इसके बाद, कलवीर ने उसके पासपोर्ट पर आईसीपी तिरुचिरापल्ली और आईसीपी मुंबई की फर्जी इमीग्रेशन स्‍टैंड लगा दी. इसके बाद, किरणदीप जब भारत वापस आई तो उसकी यह चोरी पकड़ी गई और एयरपोर्ट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

राजस्‍थान से गिरफ्तार हुआ मास्‍टर माइंड
डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि किरणदीप के खुलासे के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 420/460/471 और पासपोर्ट एक्‍ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. वहीं कलवीर की गिरफ्तारी के लिए आईजीआई एयरपोर्ट थाना के एसएचओ विजेंद्र राणा के नेतृत्‍व में एक टीम का गठन किया, जिसमें महिला सबइंस्‍पेक्‍टर सरोज यादव, एएसआई ओम प्रकाश और महिला कॉन्‍स्‍टेबल अनीता भी शामिल थी. पुलिस टीम ने लंबे प्रयासों के बाद आरोपी कलवीर को राजस्‍थान के अनूपगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने कलवीर का मोबाइल भी जब्‍त किया है, जिसमें अपराध से जुड़े कई साक्ष्‍य मौजूद हैं.

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