कैंसर : आजकल की व्यस्तता भरी जिंदगी पुरुषों को अंदर से खोखला करने के लिए काफी है. वे तमाम ऐसी बीमारियों का शिकार का हो जाते हैं, जिनसे उभर पाना उनके लिए मुश्किल भरा हो जाता है. ये बीमारियां तब और ज्यादा भयावह हो जाती हैं जब पुरुष इनको नजरअंदाज कर जाते हैं. इसका सीधा असर पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य (रिप्रोडक्टिव हेल्थ) पर पड़ता है. जी हां, तमाम ऐसे पुरुष हैं जो प्रजनन स्वास्थ्य पर बात ही नहीं करते हैं, जिसका प्रभाव भी घातक पड़ता है. रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर गलत प्रभाव पड़ने से पुरुषों के स्पर्म में विकार, स्पर्म काउंट कम होना या स्पर्म के मार्ग में रुकावट आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ी बात, प्रजनन स्वास्थ्य का नकारात्मक प्रभाव परिवार के अन्य पुरुषों में भी पड़ने का जोखिम बढ़ता है.
‘न्यू साइंटिस्ट डॉट काम’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, जिस परिवार के पुरुषों का स्पर्म काउंट कम होता है, उसके निकट संबंध वाले पुरुषों में कैंसर का खतरा रहता है. ऐसे में जरूरी है कि रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर ध्यान दें. साल्ट लेक सिटी में यूटा विश्वविद्यालय में जोमी रामसे और उनके सहयोगियों ने 360 पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या का विश्लेषण किया. इसमें उन्हें प्रति मिलीलीटर स्पर्म में 1.5 मिलियन से कम शुक्राणु मिले, जोकि बहुत कम माना जाता है.
गर्भधारण के लिए शुक्राणुओं की संख्या?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पुरूष के वीर्य में 15 मीलियन शुक्राणु प्रति एम एल होने चाहिए . यदि पुरुषों के प्रति मिली लीटर सीमेन में शुक्राणुओं को संख्या 15 लाख से कम है या स्खलन के दौरान कुल शुक्राणुओं की संख्या 39 लाख से कम हो तो ये पुरूष निःसंतानता का संकेत है.
रिप्रोडक्टिव हेल्थ प्रभावित करने वाले कारण?
पुरुषों में इन्फर्टिलिटी की समस्या से बचाव के लिए रिप्रोडक्टिव हेल्थ का बेहतर होना बेहद जरूरी है. इन सभी के लिए हमारी आदतें ही जिम्मेदार होती हैं. इन्फर्टिलिटी के कारणों में धूम्रपान, शराब, खराब डाइट व एक्सरसाइज न करना आदि को शामिल किया जा सकता है.
पुरुषों में इन्फर्टिलिटी के लक्षण?
पुरुष इनफर्टिलिटी होने पर इस बारे में बात करने से झिझकते हैं. जोकि, बीमारी की गंभीरता को बढ़ावा देने के लिए काफी है. बता दें कि, यह समस्या होने पर पुरुषों को शारीरिक संबंध बनाने में परेशानी होती है. इनमें पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन, यौनेच्छा में कमी व इजेकुलेशन की समस्या आदि को शामिल किया जाता है. इसके अलावा, टेस्टिकल में दर्द, सूजन, व गांठ जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं.
पुरुषों में स्पर्म काउंट बढ़ाने के तरीके
फोलिक एसिड: पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड को आहार में जरूर शामिल करना चाहिए. इसके लिए ब्रोकोली हरे पत्ते वाली सब्जियां, स्प्राउट्स, चना, राजमा का सेवन करें. बता दें कि, इनमें प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड मौजूद होता है. फोलिक एसिड न सिर्फ शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाता है, बल्कि शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता में भी सुधार करता है.
विटामिन डी: शुक्राणु उत्पादन और स्पर्म काउंट बढ़ाने में विटामिन डी की बहुत बड़ी भूमिका है. यह शुक्राणुओं की गतिशीलता और फंक्शन को भी बेहतर बनाता है. धूप की किरणें अंडे, दूध, मशरूम इसका बेहतरीन स्रोत है. विशेषज्ञ की मानें तो पुरुषों को रोज 10 से 15 मिनट धूप जरूर लेनी चाहिए. पुरुषों को दैनिक 1000 आईयू विटामिन डी लेने की सलाह दी जाती है.
जिंक: आपके डाइट में पर्याप्त जिंक का भी होना जरूरी है. क्योंकि ये टेस्टोस्टरॉन और शुक्राणुओं के उत्पादन को बढ़ावा देता है. साथ ही स्पर्म क्वालिटी उनकी गतिशीलता और संरचना में सुधार करता है. पुरुषों को 500- 100 मिलीग्राम जिंक अपनी दैनिक डाइट में जरूर प्राप्त करना चाहिए.छोले, कद्दू के बीज, काजू इस के कुछ अच्छे स्रोत हैं.
सेलेनियम: यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है और शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करता है. ये टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन और स्पर्म काउंट को भी बढ़ाने में मदद करता है. रोज 400 mcg सेलेनियम पुरुषों को जरूर लेना चाहिए. नट्स और बीज अंडे, चिकन और मछली में ये अच्छी मात्रा में पाया जाता है.
विटामिन सी: कई स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि विटामिन सी स्पर्म मोटीलिटी काउंट और इसकी बनावट में सुधार करता है.विटामिन सी वाले फूड जैसे संतरे, टमाटर, ब्रोकली और बंद गोभी को पुरुषों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.