विराट कोहली को कप्तान बनाने और उनके साथ कई यादगार जीत देने वाले पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री ने एक बड़ा खुलासा किया है. साल 2014 में राष्ट्रीय टीम निदेशक की भूमिका निभाने के बाद मुख्य कोच बने शास्त्री ने अपने कार्यकाल में व्यक्तिगत प्रतिभा के बजाय टीम प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया. शास्त्री ने कोहली को ‘बिना तराशा हीरा’ करार किया और कहा कि उन्होंने शुरुआत में ही उनमें भारतीय कप्तानी की काबिलियत देख ली थी.
शास्त्री ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत प्रतिभा बहुत थी लेकिन मैं टीम की प्रतिभा देखना चाहता था. मैं जीतना चाहता था और टेस्ट क्रिकेट को सर्वोपरि बनाना चाहता था और मैंने विराट कोहली को ‘बिना तराशे हीरे’ के तौर पर पहचाना. महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे और मेरी नजर कोहली पर थी. मैंने उनसे अपने दूसरे महीने की शुरुआत में ही कहा था कि समय लगेगा लेकिन कप्तानी के लिए तैयार रहो.’’
रवि शास्त्री और विराट कोहली की जोड़ी ने भारत के लिए कई कामयाबी हासिल की. सबसे अहम 2021 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीत रही. हालांकि इस सीरीज के दौरान पहला मैच बुरी तरह से हारने के बाद कोहली को निजी कारणों की वजह से घर लौटना पड़ा था. कोच शास्त्री ने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में टीम को सीरीज जीत दिलाई थी.
शास्त्री ने टेस्ट क्रिकेट के प्रति कोहली के जुनून, चुनौतियों के प्रति उनकी तत्परता और चुनौतीपूर्ण क्रिकेट खेलने की इच्छा की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘कोहली पूरी तरह से टेस्ट क्रिकेट में व्यस्त थे. वह जुनूनी थे. वह कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार थे और कठिन क्रिकेट खेलने के लिए तैयार थे, जो मेरे सोचने के तरीके से मेल खाता था. जब आप ऑस्ट्रेलिया या पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हैं तो आपके पास ऐसा कोई एक खिलाड़ी होना चाहिए जो कोई शिकायत नहीं करे, कोई बहाना नहीं बनाए.’’