छोटे बच्चों की नींद का हिसाब पूरी तरह अलग होता है. वे दिन में सोते हैं, लेकिन रात होते ही जागना शुरू कर देते हैं. इतना ही नहीं, जागने के बाद बार-बार रोने लगते हैं. नवजात शिशु रात में अक्सर जागते रहते हैं. ऐसा अधिकतर बच्चों के साथ होता है और नॉर्मल माना जाता है. हालांकि कई बार परेशानी के चलते भी छोटे बच्चे रोना शुरू कर देते हैं. बाल रोग विशेषज्ञ की मानें तो न्यूबॉर्न बेबीज के सोने का चक्र बड़े लोगों की तुलना में अलग होता है. वे रात में जागते हैं, जबकि दिन में आराम से सो जाते हैं. इसकी वजह भी बेहद दिलचस्प है. चलिए विस्तार से जान लेते हैं.
डॉक्टर की मानें तो नजात शिशु रात में पेशाब करने के बाद भीग जाएं, तब भी रोने लगते हैं. ऐसे में रात में कई बार उनके डायपर को चेक करना चाहिए और जरूरत हो, तो बदलना चाहिए. बच्चे को भूख लगती है, तब भी वह रोने लगता है. ऐसे में रात में भी बीच-बीच में दूध पिलाएं. बच्चों को जन्म के बाद 6 महीने तक केवल स्तनपान करवाना चाहिए. ब्रेस्टफीडिंग के बाद 10 मिनट तक कंधे पर रखकर डकार निकालनी चाहिए. शिशु को रात में अपने साथ सुलाना चाहिए, ताकि वह बेहतर तरीके से सो पाए. नवजात शिशु रोए, तो अपनी मर्जी से किसी भी तरह का इलाज नहीं करना चाहिए. उसके कान या नाक में तेल आदि नहीं डालना चाहिए. ऐसा करने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है. अगर बच्चा ज्यादा रोए, तो डॉक्टर को दिखाएं.
एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों को हेल्दी रखे के लिए उनकी साफ सफाई का विशेष खयाल रखना चाहिए. बच्चे को गोद लेने से बच्चे अपने हाथ धो लेने चाहिए, ताकि किसी तरह का इंफेक्शन न फैले. अगर घर में किसी को सर्दी खांसी या बुखार हो, तो शिशु से दूर रहें या मास्क का उपयोग करें. इसके अलावा एक बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि नवजात शिशु को पेट नीचे करके एक वर्ष तक ना सुलाएं. ऐसा करने से उसकी तबीयत खराब हो सकती है. नवजात शिशु के अधिक रोने पर, स्तनपान कम या ना कर पाने पर, बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. घर पर खुद इलाज करने से बचना चाहिए.