30 साल की उम्र के बाद ढीला हो जाता है शरीर, हियरिंग पावर भी होती है कम

नई दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ENT स्पेशलिस्ट डॉ. संजय गुडवानी के मुताबिक उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर के अंगों की क्षमता कम होने लगती है. ज्यादा उम्र के लोगों की हियरिंग पावर कम हो जाती है, लेकिन आज के समय में शहरी इलाको में रहने वाले 30 साल की उम्र के लोगों को भी हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ रहा है. लगातार ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बहरेपन के कई कारण होते हैं, लेकिन वायरल इंफेक्शन, सर्दी, साइनस संक्रमण, अत्यधिक शोर में रहना, तेज म्यूजिक सुनना, हेडफोन का अत्यधिक उपयोग और कुछ दवाओं से श्रवण शक्ति कमजोर हो रही है. आनुवांशिक वजहों से भी लोगों को बहरेपन की समस्या हो सकती है. ऐसे में लोगों को समय समय पर अपना हियरिंग टेस्ट कराना चाहिए.

डॉक्टर की मानें तो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ब्रेन डिसऑर्डर, लंबे समय तक शोर में रहना, जोरदार धमाके की आवाज और अन्य बीमारियों की वजह से भी बहरेपन का खतरा बढ़ सकता है. उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या आम होती है और लोगों को इसके लक्षण पहचानकर डॉक्टर से मिलना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति किसी अनाउंसमेंट को सुनने में कठिनाई महसूस कर रहा है या सड़क पर वाहनों का हॉर्न नहीं सुन पा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर कानों की जांच करानी चाहिए. डोरवेल की आवाज न सुन पाना, अलार्म की आवाज महसूस न होना या फोन पर बात करने में कम आवाज सुनाई देना भी हियरिंग लॉस के लक्षण हैं. बातचीत के दौरान लोगों की बात समझने में कठिनाई होने पर भी आपको अपनी जांच करानी चाहिए.

 

अब सवाल है कि अगर किसी की हियरिंग पावर कम हो जाए, तब क्या करना चाहिए? इस पर डॉक्टर का कहना है कि हियरिंग लॉस का सामना करने वाले लोग डॉक्टर की सलाह पर कान की मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. कई मरीजों में कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी करनी पड़ती है. इसके अलावा नियमित रूप से सुरक्षित तरीके से कान साफ करने की सलाह दी जाती है. कम सुनाई देना एक गंभीर समस्या है और लोगों को इसे लेकर गंभीरता बरतनी चाहिए. डब्ल्यूएचओ द्वारा यह बताया है कि बहरेपन की समस्या रोकी जा सकती है. अगर उचित इलाज किया जाए तो इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है.

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