बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी को एमपी एमएलए कोर्ट से 29 जनवरी को बड़ी राहत मिली. ग्वालियर में एमपी एमएलए कोर्ट ने लोधी को शासकीय कार्य में बाधा के एक मामले में बरी कर दिया है. साल 2018 में प्रीतम लोधी के खिलाफ शिवपुरी जिले के खनियाधाना थाने में शासकीय कार्य में बाधा, जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज हुआ था. दरअसल, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रीतम लोधी ने शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट से बीजेपी के बैनर तले चुनाव लड़ा था. उस दौरान खनियाधाना में एक बवाल हुआ था.
उसमें खनियाधाना पुलिस ने बीजेपी के विधायक प्रीतम लोधी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालना, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज किया था. इस मामले की सुनवाई शिवपुरी जिला अदालत में हो रही थी. साल 2023में प्रीतम लोधी बीजेपी से विधायक चुने गए. उनके विधायक बनने के चलते शिवपुरी जिला अदालत से यह प्रकरण ग्वालियर की एमपी एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया. इस मामले की अहम सुनवाई के बाद एमपी एमएलए कोर्ट को प्रीतम लोधी के खिलाफ घटना में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले. 23 जनवरी को इस मामले की अंतिम सुनवाई हुई थी. इसमें फरियादी पक्ष की ओर से विधायक प्रीतम लोधी के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किए गए.
कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
इसके चलते एमपी एमएलए कोर्ट ने इस मामले में 29 जनवरी तक अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. आज एमपी एमएलए कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला देते हुए कहा कि प्रीतम लोधी के खिलाफ खनियाधाना में हुई घटना में शामिल होने के किसी तरह के सबूत नहीं मिले हैं, लिहाजा उन्हें इस मामले में बरी किया जाता है. एमपी एमएलए कोर्ट से बरी होने के बाद बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी ने कहा कि साल 2018 में जब कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश में आई थी तो कमलनाथ सरकार ने भाजपाइयों के खिलाफ जबरदस्ती झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे. आज न्यायालय ने जो फैसला दिया है वो सच्चाई की जीत है.