रेगिस्तान के बीच गर्ल्स स्कूल, डिजाइन इस तरह की नही लगती गर्मी

गर्ल्स स्कूल : राजस्थान के थार रेगिस्तान के बीचों-बीच एक ऐसा अनोखा स्कूल बसा हुआ है, जिसकी चर्चाएं पूरे विश्व में है. दरअसल, तपते रेगिस्तान में बने इस स्कूल में कोई AC या कूलर नहीं लगा है, लेकिन इसका डिजाइन कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि यहां छात्रों को बिल्कुल भी गर्मी नहीं लगती है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की, जो एक वास्तुशिल्प चमत्कार (Architectural Marvel) है. इस स्कूल को आर्किटेक्ट डायना केलॉग द्वारा डिजाइन किया गया है और CITTA द्वारा कमीशन किया गया है. बता दें कि CITTA एक नॉन प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जो दुनिया में सबसे अधिक आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण, भौगोलिक रूप से दूरस्थ या हाशिए पर रहने वाले समुदायों में विकास का समर्थन करता है.

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल भारत के राजस्थान राज्य में जैसलमेर के रहस्यमय थार रेगिस्तान क्षेत्र में बना हुआ है. यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली किंडरगार्टन से लेकर कक्षा 10वीं तक की 400 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं. बता दें कि जिस गांव में यह स्कूल बसा है, वहां महिला साक्षरता दर मुश्किल से 32% के आसपास है. यह स्कूल ज्ञान सेंटर (GYAAN Centre) के नाम से जाने जाने वाले तीन भवनों के परिसर में पहला होगा, जिसमें द मेधा (The Medha) भी शामिल है. इसमें एक लाइब्रेरी और म्यूजियम के साथ एक प्रदर्शन और कला प्रदर्शनी स्थल भी है. इसके अलावा यहां महिला सहकारी भी है, जहां स्थानीय कारीगर माताएं बुनाई और कढ़ाई की तकनीक भी सीख रही हैं.

ज्ञान सेंटर महिलाओं को सशक्त और शिक्षित कर रहा है, जिससे उन्हें अपने और अपने परिवार व अपने समुदायों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता स्थापित करने में मदद मिलती है. चूंकि GYAAN सेंटर एक महिला द्वारा महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है, इसलिए आर्किटेक्ट केलॉग ने इसे डिजाइन करते समय विभिन्न संस्कृतियों में स्त्री के प्रतीकों को देखा था, जिसमें विशेष रूप से शक्ति के प्रतीक और स्त्रीत्व और अनंत की शक्ति का प्रतिनिधित्व करने के लिए तीन अंडाकार दीवारों की संरचना की थी.

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल पूरी तरह से स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथ से नक्काशी किए गए जैसलमेर के बलुआ पत्थर से बनाया गया है. केलॉग के लिए समुदाय के लिए बनाई गई इमारत में समुदाय को शामिल करना महत्वपूर्ण था. बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए स्थानीय सामग्री का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिली और केलॉग ने कूलिंग सिस्टम के रूप में छत पर एक सोलर पैनल कैनोपी बनाने का विकल्प चुना, जहां तापमान 120 डिग्री के करीब होता है. लेकिन कैनोपी और जाली दोनों गर्मी को दूर रखते हैं और संरचना का अण्डाकार आकार भी वायु प्रवाह के कूलिंग पैनल का निर्माण करते हुए स्थिरता के पहलुओं को लाने में मदद करता है.

ज्ञान सेंटर युवा महिलाओं को उनकी शिक्षा और स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारत में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई उपकरणों से लैस है.

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