म्यूचुअल फंड में निवेश आप 2 तरीकों से कर सकते हैं. पहला तरीका यह है कि आप किसी म्यूचुअल फंड कंपनी को सीधे पैसा दे दें और वह आपका पैसा अलग-अलग जगह लगा देगी.
पैसा कहां लगेगा इसे मोटे तौर पर आप तय कर सकते हैं लेकिन एक-एक कंपनी आपको चुनने की जरूरत नहीं है. आप यह तय कर सकते हैं कि आपको स्मॉल कैप, मिड कैप या लार्ज कैप में पैसा लगाना है.
यहां तक की कई मामलों में आप एक तय सेक्टर को भी चुन सकते हैं. लेकिन बिलकुल माइक्रो लेवल पर आपको फंड मैनेज करने की कोई जरूरत नहीं होती है.
नतीजतन, फंड मैनेजमेंट कंपनी आप से भी अतिरिक्त रकम नहीं वसूलती है. दूसरा तरीका है कि आप किसी ब्रोकर के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करें. इससे एक्सपेंस रेश्यो यानी आपका खर्च थोड़ा बढ़ जाता है.
ऐसे में सवाल उठता है कि जब डायरेक्ट प्लान सस्ता है तो रेग्युलर प्लान आया ही क्यों है और कौन लोग खरीदते हैं. इसका जवाब है एक्सपर्ट ओपिनियन.
अगर आप किसी ब्रोकर के जरिए इन्वेस्टमेंट करते हैं तो खर्च तो बढ़ता है यह सही है लेकिन आपको एक्सपर्ट ओपिनियन भी मिलता है. दोनों ही जगह पर आपका फंड मैनेज कोई और ही कर रहा है लेकिन रेग्युलर फंड में आपको अतिरिक्त एक्पर्टीज मिलती है.
साथ ही आपको पोर्टफोलियो और बेहतर पर एक्टिवली मैनेज किया जाता है. आपको अतिरिक्त सपोर्ट सर्विस भी मिलती है. तो अगर आपको ज्यादा सपोर्ट या विशेषज्ञता की जरूरत नहीं है तो आपको डायरेक्ट फंड में निवेश करना चाहिए.
वहीं, अगर आपको लगता है कि आपके समय की कमी है और आपको म्यूचुअल फंड निवेश में अतिरिक्त सहायता की जरूरत है तो आपको रेग्युलर फंड के लिए जाना चाहिए.