पूरी जिंदगी नहीं देनी होगी स्कूल फीस, 90 छात्रों ने किया यह काम

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के 90 छात्रों ने परिसर के खाली पड़े रूम में मशरूम उगा कर अपनी फीस की व्यवस्था कर ली है. स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना के तहत, छात्रों ने होली में हर्बल गुलाल और रक्षाबंधन पर बनाई गई राखियों को बेचकर अपनी आत्मनिर्भरता में योगदान दिया है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, इस पहल की शुरुआत कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने दो साल पहले की थी, जिसका उद्देश्य छात्रों के कौशल विकास को बढ़ावा देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था. छात्रों ने हर्बल गुलाल बनाने की शुरुआत की, जिसे बाजार में अच्छे से प्रस्तुत किया गया. इसके बाद, धान और चावल से बनी राखियों को आकर्षक पैकिंग के साथ बाजार में प्रस्तुत किया गया. छात्रों ने साल 2022 में 67 हजार रुपये की आय की है, जो साल 2023 में रिकॉर्ड 2 लाख से अधिक की कमाई हुई है.

इस बीच, छात्रों ने मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया और कैंपस में इसे बढ़ाने के लिए एक खास जगह निर्धारित की. वर्तमान में, विद्यार्थी रोजाना पांच से सात किलो मशरूम का विक्रय कर रहे हैं और इससे प्रतिदिन 1,000 से 1,400 रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं, जो कि 200 रुपये किलो भाव से बेचा जा रहा है.

मशरूम के कई अन्य ब्रांड
शुरुआत में 12 विद्यार्थियों के साथ इस योजना की शुरुआत हुई थी और अब इसमें ग्रामीण प्रौद्योगिकी, सामाजिक कार्य, इतिहास और राजनीतिक शास्त्र विभाग से 100 से अधिक विद्यार्थी शामिल हो चुके हैं. 90 विद्यार्थियों ने अपनी फीस भी जमा की है. इस प्रक्रिया के दौरान, उन्हें स्किल विकसित करने, मार्केटिंग, और अन्य आत्मनिर्भरता के क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, ताकि उनमें नौकरी के बजाय मालिक बनने की इच्छा जागृत हो सके. ग्रामीण प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास विभाग के सहायक प्राध्यापक और प्रमुख डॉ दिलीप कुमार ने बताया की कुलपति के मार्गदर्शन में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना स्टूडेंट के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. देश के कई बड़े शिक्षण संस्थान भी इसकी सराहना कर चुके हैं. जल्द ही मशरूम के कई अन्य ब्रांड जैसे अचार, पापड़, पाऊडर समेत नई किस्म उपलब्ध होंगे.

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