साइनस : दिल्ली से सटा हुआ गाजियाबाद प्रदूषण का एनसीआर में सबसे बड़ा केंद्र रहा है. कंस्ट्रक्शन साइट, अनियमित ट्रैफिक और औद्योगिक नगरी होने के कारण फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं की मार भी गाजियाबाद वासियों को झेलना पड़ती है. जब इन्ही धूल मिट्टी के कण शरीर में प्रवेश करते है और इंफेक्शन बना देते हैं, तब व्यक्ति को साइनस की समस्या होने लगती है. सीजन की परिवर्तन में होने वाली ये बीमारी इन दिनों परीक्षाओं में छात्रों के लिए मुसीबत बनी हुई है.
गाजियाबाद के निजी और सरकारी अस्पतालों में रोजाना ही 7-8 छात्र इस शिकायत के साथ पहुंच रहे हैं. लगभग 35 वर्षो से ईएनटी की समस्याओं को करीब से देखने वाले वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर बृजपाल त्यागी से हमने जाना साइनस की वजह और इसके घरेलू इलाज के बारे में.
दवाइयों से आती है नींद, तैयारी में बन सकती बाधा
साइनस में हमारे नाक के आसपास की कैविटी में बलगम भरने के कारण हमारे सिर में भारीपन महसूस होने लगता है.जिसे साइनुसाइटिस कहा जाता है, ये समस्या एनसीआर में रहने वाले 40% लोगों के अंदर मिल रही है. इसका सबसे बड़ा कारण पॉल्यूशन है और इंफेक्शन है. एक साइनस ऐसा भी होता है जब हमारी नाक से पानी बहने लगता है. उसे हम राइनाइटिस कहते हैं, जो राइनाइटिस होता है उसमें बच्चों को परेशानी आती है. क्योंकि बार-बार नाक को साफ करना पड़ता है और छात्र काफी चिड़चिड़ा हो जाता है. परीक्षाओं के इस वक़्त जब बच्चे मन लगाकर पढ़ाई कर रहे होते हैं तो बार -बार नाक बहना उनका ध्यान भटकता है. ऐसी दवाइयां जो नाक का बहना बंद करती हो या ऐसे एंटी -इन्फेक्शन स्प्रे अगर आप लगाते हैं, तो उससे सुस्ती आती है और अगर बच्चे को सुस्ती आएगी तो वह ठीक से तैयारी नहीं कर पाएंगा.
घर में अपना ध्यान रखकर भी दूर कर सकते हैं साइनस
साइनस में सिर दर्द होना काफी आम है और कई बार ये सिर दर्द इतना तेज बढ़ जाता है कि कोई भी काम करने में व्यक्ति असहज हो जाता है. इस समस्या को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है और बलगम को पतला करने के लिए भी दवाई दी जाती है. इन सभी दवाई से नींद ज्यादा आती है. इसलिए अभिभावकों को यह समस्या समझनी चाहिए और बच्चों को ऐसा फूड देना चाहिए जिससे कि उसके साइनस में और बढ़ोतरी न हो. जैसे कि खट्टा और ठंडा अवॉइड करना चाहिए उनको स्टीम देना चाहिए. हाइपरटॉनिक सलाइन से उनकी नाक को साफ रख सकते हैं. घरेलू नुस्खे को आप इस बीमारी में अपना सकते हैं, ताकि आपका बच्चा घर बैठे ही ठीक हो जाए और परीक्षा की तैयारी में जुट जाए.