दक्षिण भारत के छोटे से छोटे कस्बे से लेकर बड़े से बड़े शहर तक कहीं भी जाएंगे, वहां एक चीज कॉमन मिलेगी, जगह जगह डोसा, इडली के ठेले या फुटपाथ में स्टाल मिलेगा. ऐसा ही शहर मदुरई है, जहां पर हर जगह या चौराहे पर डोस की दुकानें मिलेंगी. लेकिन इस शहर में डोसे से ज्यादा एक चीज की शॉप मिलेंगी. वो है सोना, यह सुनकर चौंकना लाजिमी है. खास बात यह है कि इतनी शॉप होने के बाद कई बार प्रतिष्ठित शॉप में लाइन तक लग जाती है. वजह जानकार आप दंग रहे जाएंगे.
तमिलनाडु का मदुरई शहर चेन्नई के बाद दूसरा प्रमुख शहर है. इसे दक्षिण का जंक्शन कहा जाता है. यहां से चारों ओर के लिए ट्रांसपोर्ट के साधन उपलब्ध हैं. देश के किसी भी कोने से रामेश्वर जाने वाले श्रद्धालु को मदुरई होकर जाना पड़ता है. इसके अलावा मीनाक्षी अम्मन मंदिर भी शहर की पहचान है, जो विश्व प्रसिद्ध है. इस वजह से शहर खास है.
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त्यौहारों के अलावा सामान्य दिनों में खूब करते हैं लोग खरीदारी.
शहर में जगह-जगह डोसे-इडली के ठेले और कार्नर मिल जाएंगे. लेकिन इनसे अधिक आपको ज्वैलर्स की दुकानें मिल जाएंगी. यहां तिरकु आशंन मार्केट पूरा ज्वैलरी का है, जिस पर करीब 1000 से अधिक दुकानें हैं. इसके अलावा पूरे शहर में 2000 से अधिक दुकानें ज्वैलरी की हैं. इस तरह 3000 से अधिक दुकानें और शोरूम सोने-चांदी के हैं. त्यौहारों के आसपास शहर की प्रतिष्ठित पुरानी दुकानों में भीड़ होने की वजह से लोगों को अपनी बारी का बाहर इंतजार करना पड़ता है. इस तरह लाइन लग जाती है. शहर में औसतन प्रतिदिन 30 से 32 किग्रा. सोने की ब्रिकी होती है.
यहां की प्रतिष्ठित शोरूम सिलवियर स्माइल स्टोर के इग्जक्यूटिव सेक्रेटरी ए. किशन कुमार बताते हैं कि यहां पर ज्वैलर्स की दुकान अधिक होने के कई वजह हैं, पहला सोना पहनना शुभ माना जाता है, इसके साथ ही, स्टेटस सिंबल भी बना गया है. यहां ज्यादातर महिलाएं और पुरुष सोने की चेन पहने जरूर मिलेंगे. इसके अलावा प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर है, यहां पर लोग सामर्थ के अनुसार सोना चढ़ाते हैं. इस वजह से यहां ज्वैलरी की दुकानें खूब हैं और सोने की बिक्री खूब होती है