कई ऐसी बीमारियां हैं, जो टीनएजर्स बच्चों को भी हो सकती हैं. उन्हीं में से एक है एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis). एंडोमेट्रियोसिस तब होता है, जब गर्भाशय की परत की तरह दिखने और काम करने वाला ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है. गर्भाशय की परत (Uterus Lining) को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। कई बार ये टिशू ओवरीज, फैलोपियन ट्यूब, यूटरस की बाहरी सतह, लिगामेंट्स जो गर्भाशय को सपोर्ट करते हैं, ब्लैडर आदि में भी बढ़ जाते हैं. आखिर क्या है एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण, कारण और इलाज, जानते हैं यहां.
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण (Symptoms of Endometriosis)
किड्सहेल्थ डॉट ओआरजी में छपी एक खबर के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस के बेहद ही कॉमन लक्षणों में दर्द भरा पीरियड्स होना शामिल है. गर्भाशय के बाहर टिशू में वृद्धि होने के कारण पीरियड्स के दौरान ये सूज जाती है. रक्तस्राव होता है, बिल्कुल उसी तरह जैसे एंडोमेट्रियम में होता है. जब खून को निकलने का रास्ता नहीं मिल पाता है तो वह फंस जाता है. इससे आसपास के क्षेत्रों में जलन होती है. दर्द होता है. समय के साथ, निशान भी बन सकते हैं. एंडोमेट्रियोसिस के अन्य लक्षण निम्न हैं-
-हेवी पीरियड्स
-पीरियड्स में बड़े ब्लड क्लॉट्स निकलना
-पेल्विक या फिर कमर दर्द होना
-पेशाब करते समय दर्द होना
-डायरिया, कब्ज होना
-टॉयलेट में दर्द या खून निकलना
-गर्भ धारण न कर पाना
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज (Treatment of Endometriosis)
अलग-अलग टीनएज लड़कियों में अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं. पीरियड्स के दौरान दर्द होना कॉमन है. ऐसा जरूरी नहीं है कि ये सभी लक्षण और समस्याएं एंडोमेट्रियोसिस के ही कारण हो रहे हों. ऐसे में इस कंडीशन को डायग्नोस कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है. डॉक्टर सवाल-जवाब और फिजिकल एग्जाम, अल्ट्रासाउंड के जरिए इस रोग का पता लगाने की कोशिश करते हैं. साथ ही कई बार एमआरआई स्कैन की भी जरूरत पड़ती है. जांच में एंडोमेट्रियोसिस होने का पता चलता है तो सबसे पहले दवाओं से दर्द को कम किया जाता है. यदि लक्षण गंभीर हैं या चिकित्सा उपचार के 3-6 महीनों में भी सुधार नहीं होता है तो डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं.
घर पर दर्द कम करने के लिए करें ये काम (How to reduce pain at home)
– हीटिंग पैड या हीट पैच से पेट दर्द को कम कर सकते हैं. गर्म पानी से स्नान करें.
-पीरियड्स के दौरान एक्सरसाइज करने से क्रैम्प को दूर कर सकते हैं.
-पेट के निचले हिस्से और कमर को मसाज करने से दर्द से छुटकारा मिल सकता है.
-पीरियड्स जिस सप्ताह में होने वाला है, उस दौरान अधिक आराम करने से पीरियड मूड चेंज से बचाव होगा.
-अपनी डाइट में अधिक फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन आदि शामिल करें, इससे पीरियड ब्लोटिंग और दर्द कम होगा.
-पीरियड्स ब्लोटिंग से रहते हैं परेशान तो पानी खूब पिएं.
-रिलैक्स होने के लिए मेडिटशन, योग, मेडिटेशन आदि का सहारा लें.