इंजीनियरिंग कर कोई भी युवा बड़ी और मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने की ख्वाहिश रखता है. लेकिन बिहार का यह युवा इंजीनियरिंग कर मल्टीनेशनल कंपनी में नहीं बल्कि खेतों में कुदाल और हल चल रहा है. नाम है दिव्यांकुर. जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर नर्सरी संभाल रहे हैं. खुद के साथ कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. साथ ही प्रति माह 1.5 से 2 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं.
दिव्यांकुर ने कहा कि इंजीनियरिंग करने के बाद कई जगह से ऑफर आया. इसके बाद कई नौकरी को ठुकरा कर पिता द्वारा किए जा रहे छोटे स्तर पर नर्सरी के बिजनेस में हाथ बढ़ाया. इसके बाद इसको बड़े स्तर का बिजनेस बनाया. दिव्यांकुर ने बताया कि मेरा शुरू से ही सपना था कि नौकरी लेने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनू. आज युवा दिव्यांकुर का सपना साकार हो चुका है. वर्तमान में 20 से अधिक लोगों को नौकरी भी दें चुके हैं. इनकी नर्सरी में काम करने वाले मजदूरों को प्रति माह 7 हजार से ₹9000 तक भी दिए जाते हैं.
लोगों को दे रहे रोजगार
जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा से साल 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद दिव्यांकुर को कई सारी प्राइवेट कंपनियों द्वारा जॉब के ऑफर भी मिले, लेकिन सभी ऑफर को ठुकराते हुए उन्होंने सर्वप्रथम एक नर्सरी का बिजनेस शुरू किया. अच्छा मुनाफा होने के बाद वर्तमान में तीन अलग-अलग नर्सरी खोल ली हैं. यह क्षेत्र के युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं. स्वरोजगार के महत्व को बताकर युवाओं को इस क्षेत्र में आने के लिए हौसला भी बढ़ा रहे हैं.
बचपन के शौक को दिए पंख
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बचपन से ही बागवानी का बहुत शौक था. इस वजह से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नर्सरी को ही नया रंग रूप देकर उसे एक बेहतर और मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनाने की ठान ली. उन्होंने बताया कि पेड़ पौधों के बारे में उन्हें हमेशा से कुछ नया जानने व सीखने की ललक थी. मेरे अलावा मेरी नर्सरी से जुड़े सारे कर्मी को भी नर्सरी में मौजूद हजारों तरह के फूल व फल के पौधे के नाम पूरी तरह से याद हो गए हैं.