ट्रेनों में यात्रा के दौरान आम यात्री अक्सर चूहा से परेशान रहते हैं. दिन में तो चूहों का खौफ उतना नजर नहीं आता है, लेकिन रात होते ही चूहों का आतंक शुरू हो जाता है. चूहा ट्रेन के बॉगियों में बैग, चप्पल और महंगे जुतों को भी कतर देते हैं. कभी-कभी तो यात्री को भी काट कर लहूलुहान कर देते हैं. इससे यात्रियों की यात्रा दुखदायी हो जाती है. चलती ट्रेन में चूहा अगर काट ले तो आपको अगले स्टेशन से पहले इलाज भी नहीं मिलता है, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है. दूसरी ओर रेलवे के स्टाफ का रवैया भी ढुलमुल रहता है. थक हार कर पीड़ित को शिकायत दर्ज करानी पड़ती है.
बता दें कि रेलवे हर साल चूहों पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. इसके बाद भी चूहा लोगों के सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पीड़ित यात्रियों की शिकायत पर उपभोक्ता फोरम ने कई बार रेलवे पर जुर्माना भी लगाया है. साल 2014 में चेन्नई के एक शख्स को सफर के दौरान चूहे ने काट लिया था. यात्री के शिकायत करने पर टीटी ने चूहा काटने की बात को अनसुना कर दिया था. यात्री ने अगले स्टेशन पर उतर कर इसकी शिकायत दर्ज कराई. बाद में लंबी लड़ाई के बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने रेलवे पर 25000 रुपया का जुर्माना लगाया और पीड़ित शख्स को मुआवजा दिलवाया.
चूहा काटने पर क्या मिलेगा मुआवजा?
यह घटना चेन्नई की थी, लेकिन यह देश में इस तरह का यह पहला मामला नहीं है. देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के हजारों मामले अभी उपभोक्ता अदालतों में चल रहे हैं. चूहों के कारण यात्रियों को लगातार परेशनियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आज आपको बताने जा रहे हैं कि ट्रेन में चूहा अगर आपको काट ले तो सबसे पहले क्या करें. अगर ट्रेन में आपके शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आपके पास क्या-क्या विकल्प होंगे? आप अपनी नुकसान की भरपाई के लिए कहां-कहां दावा ठोक सकते हैं?
compensation rule in railway , Common passengers news , terror of ratsचूहा काटने पर रेलवे में भी जुर्माना देने का प्रावधान है, लेकिन यात्रियों को कई जानकारी देनी पड़ती है.
क्या कहते हैं जानकार
रेलवे जानकार और अधिवक्ता राहुल कुमार कहते हैं, ‘देखिए, रेलवे में भी जुर्माना देने का प्रावधान है, लेकिन रेलवे देती नहीं है. रेलवे आपसे ठोस आधार देने को कहता है. जैसे- आपने सफर के दौरान सामान का चार्ज दिया है? आपको यह साबित करना पड़ेगा कि बॉगी के अंदर ही चूहा ने काटा है तो इसके लिए कुछ यात्रियों के साइन होने चाहिए. कुलमिलाकर रेलवे टालती है. लेकिन, अगर आपने सामान का चार्ज नहीं दिया है तो फिर आपको रेलवे जुर्माना देने से साफ मुकर जाएगी. इसके बाद आपके पास उपभोक्ता फोरम में जाने के आलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा.’
कुलमिलाकर देश के अलग-अलग हिस्सों में चूहे रेलवे के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. ट्रेन में चूहे यात्रियों के सूटकेस के साथ-साथ यात्री को भी काट रहे हैं. ऐसा नहीं है कि रेलवे चूहों पकड़ने पर रुपया खर्च नहीं करती है. पिछले साल ही उत्तर रेलवे की लखनऊ डिवीजन ने चूहों को पकड़ने के लिए 3 साल का एक आंकड़ा जारी किया था. इस आंकड़े में कहा गया है कि रेलवे ने चूहे पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च कर दिए, लेकिन पकड़ में आया 168 चूहा. यानी एक चूहे को पकड़ने के लिए रेलवे ने तकरीबन 41 हजार रुपये खर्च कर दिए.