भूलकर भी इस भगवान को ना चढ़ाएं चावल, जाने

चाहे घर में ग्रह शांति पूजा हो या फिर गणेश जी की पूजा, घर में जब भी पूजा होती है, सबसे ज्‍यादा प्रयोग होने वाला अनाज है चावल. ह‍िंदू धर्म में हम जब भी पूजा करते हैं, अक्षत का प्रयोग ईश्‍वर का आह्वान करने में, उनकी पूजा में क‍िया जाता है. आइए ज्‍यो‍त‍िष व वास्‍तु व‍िशेषज्ञ, श्रुति खरबंदा से जानते हैं, कि भगवान की पूजा में चावल का प्रयोग क्‍यों क‍िया जाता है? साथ ही जानते हैं कि क‍िस देवता की पूजा में कभी भी चावल का इस्‍तेमाल नहीं क‍िया जाता है.

सबसे पहले अगर बात करें पूजा की तो पूजा ईश्वर को प्रसन्न करने के ल‍िए की जाती है जिसमें हम भौतिक सामग्री से ‘तेरा तुझको अर्पण’ वाले कथन को रूप देते हैं. अपने मन में ईश्वर को धारण करते हैं और अपनी इच्‍छा पूर्ती की कामना करते हैं.

shivlingश‍िवल‍िंग पर भी चावल चढ़ाया जाता है. लेकिन कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए.
पूजा में क्‍यों इस्‍तेमाल होते हैं चावल

चावल सफेद रंग का होता है. सफेद रंग सरस्वती (ज्ञान) और पार्वती (शक्त्ति-मां गौरी) का माना गया है. चावल धान भी है, अन्न है इसलिए इसे लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है. जहां तीनों देवियां हो वहां स्वयं प्रकृति का वास होता है.
चावल का रंग आकाश तत्व (अवचेतन मन) का, ग्रहों में चंद्रमा और शुक्र ग्रह का माना गया है. पूजा में हम देवताओं का आह्वान करते हैं और उनका अभिवादन करते हैं ताकि इच्छा की पूर्ति हो. पांच तत्वों की ऊर्जा का आह्वान करते है जिसके लिए हम भौतिक सामग्री जो कि तत्वों का, ग्रह ऊर्जा का प्रतीक होती है उसका उपयोग करते हैं. जैसे जल-अक्षत, चीनी (शुक्र), रोली कुमकुम (मंगल) शहद (सूर्य), घी, लौंग (केतु), इलाइची (बुद्ध ग्रह) पान के पत्ते, सुपारी, नारियल (राहु) आदि का प्रयोग होता है.
चावल का संबंध देवी लक्ष्मी, शुक्र ग्रह और चंद्रमा से माना गया है जो कि पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है.
हम तिलक लगाते समय चावल का उपयोग करते हैं ताकि मनुष्य की आभा में समृद्धि (धन) बढ़े, भव्यता बढ़े और इसके कारण वह नजर आए. हम ईश्वर को भी वही तिलक लगाते है और खुद भी.
ऋग्वेद और सामवेद में भी सोम का ज‍िक्र आता है. उन्हें पढ़ कर सोम अर्थात मन और जल प्रतीत होता है. सोम का अर्थ है चंद्रमा जिसका रंग सफेद और प्रतीक जल और चावल, आपके अवचेतन मन का कारक.
सामवेद के पंचम अध्याय- पवमान पर्व के चतुर्थ दशती में 9वा श्लोक है जिसमें कहा गया है, ‘हे सोम! मननशील पुरुष ध्यान और धारणा से तुझे खोजते हैं, तू उनकी इच्छापूर्ति के लिए ज्ञान दे तथा अपने तेज से उत्तम प्रेरणा तथा शक्ति दे.’ यहां गौर करने वाली बात है कि मन यानी चंद्रमा ही ध्यान का कारक है जिसको एकाग्र करने से इच्छा की पूर्ति होती है और ज्ञान मिलता है. जैसे आपने इच्छा धारण कर ली कि गाड़ी लेनी है और उस इच्छा को मन में धारण करके आप एकाग्र चित्त होकर कुछ समय धन अर्जित करने की दिशा में काम करेंगे तो गाड़ी खरीद सकेंगे.
हमेशा ध्‍यान रखें पूजा में हमेशा अक्षत चढ़ाया जाता है. अक्षत का अर्थ होता है, जो टूटा न हो. यानी पूजा में चढ़ाया जाने वाला चावल हमेशा साब‍ुत होना चाहिए. बाजार से लाया गया चावल यदि आप पूजा के ल‍िए इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो उसे पूजा के ल‍िए प्रयोग करते हुए हमेशा एक बार देख लें.

क‍िस देवता को कभी नहीं चढ़ाया जाता चावल?
चावल को श्री का यानी मां लक्ष्‍मी का प्रतीक माना जाता है. लेकिन फ‍िर भी भगवान व‍िष्‍णु की पूजा में कभी चावल नहीं चढ़ाया जाता. वहीं शाल‍िग्राम की पूजा करते वक्‍त भी अक्षत का इस्‍तेमाल नहीं होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्‍णु की पूजा करते समय चावल का इस्‍तेमाल करने से व्‍यक्‍ति को दोष लगता है. पंड‍ितों की मानें तो अगर आप भगवान व‍िष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की पूजा कर रहे हैं तो सफेद चावल पर कुमकुम लगाकर आप पूजा कर सकते हैं. वहीं हनुमान जी पर भी चावल कभी नहीं चढ़ाया जाता.

 

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